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भूमाफिया ने उजाड़ा गरीब का घर , नही मिला कानून से न्याय

 असम ( तिनसुकिया ) , 9 दिसम्बर । आखिर एक गरीब मजदूर रातदिन मेहनत करके भी गरीब हीं क्यों बना रहता है ? उसका सारा जीवन अपने परिवार और बच्चों के भविष्य संवारने में निकल जाता हैं पर आखिर में वह यह सपने आँखों में लिए इस दुनिया से चला जाता हैं ! 

( फोटो : पीडित परिवार अपनी छत बचाने के लिये बैठा )

क्यों इसका कारण हमारे देश की कानून व्यवस्था है जो केवल लालची और दबंग लोगों की सहूलियत के लिए बनाया गया है ये ऐसे लोग होते हैं जो केवल अपने फायदा के लिए किसी की जिंदगी और किसी के बच्चों का भविष्य बर्बाद कर देते हैं । आज ऐसे ही पीडित परिवार की खबर बताने जा रहे है । जो असम के जिले तिनसुकिया के गाँव चिरवापट्टी से है पीडित परिवार के मुखिया का नाम उमेश राय है पीडित का कहना है की वह साठ से सत्तर साल से वह उस जमीन पर घर बना कर रह रहे थे उसको कुछ दबंग लोगों के कारण अवैध घोषित कर दिया , पुलिस उनका साथ दे रही है उनका कहना है की वह जमीन जहाँ वे दादा के समय से जो लगभग साठ से सत्तर साल पहले से रहते आ रहें हैं यह जगह पर पहले आबादी कम थी पूरा जंगल थी । जिसे काटकर हमारे पूर्वजों ने अपने रहने के लिए एक झोपड़ी बनाकर मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार को पालने लगे । यह 800 वर्ग फुट जमीन बरागोला के नाम पर थी इस जमीन का कोई भी कागज हमारे पास नहीं है और वे लोग भी कभी हमें हटाने की कोशिश नहीं किया , हमारे पिताजी तिनसुकिया असम में ही एक सरकारी स्कूल में शिक्षक थे जिनका 2012 में देहांत हो गया । आज यह जगह टाउन ( कस्बा ) बन गया है और जमीन का दाम भी बहुत हो चुका है जिसके कारण भू माफिया लोग किसी भी कीमत पर जायज या नाजायज रास्ते अपनाकर हम जैसे गरीबों को डरा धमका कर पुलिस और कानून का, गुण्डे और बदमाश का डर दिखाकर इसे हड़पने की कोशिश करते रहते हैं ऐसे ही एक भू-माफिया है संजय सिंह जो कुछ साल पहले तक दूसरे के पास नौकरी करते थे लेकिन आज खुद एक कॉन्ट्रैक्टर बन चुकें है और कुछ समय में ही अरबों का सम्पत्ति बना चुके हैं जिनका काम कमजोर और गरीब लोगों को थाने पुलिस अल्फा सल्फा जैसे संगठन के नाम पर डरा धमका कर उससे उसकी जमीन हड़पकर अपने खजाने को बढाना है हमारे भाईयों के पास भी पहले ये दो आदमी भेजें और बोले की हमलोग का बरागोला से बात हो गया है तुम लोग इस घर को खाली कर दो यह जमीन हमलोग खरीद लिया है नहीं खाली करने पर पुलिस वाले को बुलाकर घर तुड़वा देंगे "  यह जमीन हमारे रहने और कमाई का एकमात्र जरिया था इसमें हम रहने के अलावा एक छोटा सा दुकान करके पकौड़े और पुरी बेचकर तथा और भाई मजदूरी करके हमलोग अपने परिवार चला रहे थे हमलोग घर खाली करने से मना कर दिया फिर ये लोग रोज दो चार आदमी को लेकर आने लगे और धमकाने लगे है और हमारे भाई लोग को कभी अल्फा तो कभी सल्फा तो कभी पुलिस कभी कोर्ट कचहरी कभी कुछ पैसे का लालच दिखाकर हमलोग को तोड़ने की कोशिश करते रहे और यह सिलसिला लगभग चार से पांच महीने तक चलता रहा , हमलोग भी गाँव समाज का मदद लेने की कोशिश की पर कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया ।

 इन लोगो ने हमारे पास समझौता करने के अलावा कोई रास्ता नहीं छोड़ा और हमारे दो भाई डर कर उनके झांसे में आ गए वे लोग एक एग्रिमेंट बनाकर हमारे दोनों भाई से साईन कराकर पांच लाख रुपये दे दिया और बोला की दो तीन महीने में घर खाली करके चले जाए । हम लोग पांच भाई हैं और हमारी माँ भी जिन्दा है केवल दो भाई से साईन कराकर ये लोग घर खाली करने से पहले ही माटी अॉफिस से मिलकर उन्हें पैसे देकर जमीन अपने नाम करवा लिया और फिर एक दिन दस पन्द्रह लोग आकर हमारे घर के आगे का हिस्सा तोडकर पूरे जमीन को किनारे से घेरकर अपने कब्जे में ले लिया उस वक्त हमलोग अंदर ही थे अब हमारे पास दो रास्ते बचे थे या तो हम बेघर होकर बच्चों के साथ भटक भटक कर मरे या इनसे मुकाबला करें । फिर हमलोग हिम्मत करके उनके कब्जा को हटा दिया उसके बाद वे लोग रोज गुण्डे भेजने लगे हमे जान से मारने की धमकी देने लगे हमारा घर जलाने की धमकी देने लगे फिर हमलोग पुलिस के पास जाकर सारी बातें बताया पर हमें कोई खास मदद नहीं मिला । उनके गुण्डे का आना जारी रहा फिर हमलोग एक वकील की मदद से फिर एफआईआर कराया और सारी बातें बताया वे लोग भी हमारी मदद नहीं किया फिर हमने गुण्डे लोग का विडियो बना कर एक और एफआईआर किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ उल्टा थाने में हमलोग को ही धमकी दिया गया फिर उनलोगों ने हमलोग के ऊपर एक झूठे एफआईआर कराया और तुरंत पुलिस हमलोग को पकड़ कर थाने में लाकर हमारे साथ गालीगलौज किया और एक खतरनाक अपराधी जैसा व्यवहार किया । रात भर हमें हवालात में बंद करके रखा गया और उनकी बात मानने का दबाव बनाया फिर दोपहर को हमें सोचने का समय देकर हमें छोड़ और हमें बार बार थाने बुलाया जाता पुलिस के सामने हमलोग को संजय सिंह का आदमी गालीगलौज और मारने की बात करता कभी हमें और पैसा लेकर कभी डराकर थाने में ही हमें तोड़ने की कोशिश की जब जब हमलोग नहीं माने तो झूठे झूठे आरोप लगा कर मामला कोर्ट में पेश किया गया जिसका नोटिस हमें मिला और हम कोर्ट के हर डेट पर हमलोग कोर्ट में हाज़िर हुए । हम गरीब लोग जो मुश्किल से हमलोगों का गुजर होता है जो हमलोगों ने केस पर खर्च कर दिया और खर्च कहा से करें , इसी केस में हमें बेल लेने से लेकर वकील की फीस देने में उनका दिया हुआ पांच लाख खर्च हो गया और कर्ज लेकर उनके द्वारा तोड़ा गया घर को ठीक कराया और इसी बीच वे लोग एक और केस किया जिसका खबर हमलोग तक नहीं पहुचने दिया । उस केस का एक भी नोटिस हमारे पास नही पहुचने दिया गया और इस तरह कई नोटिस फेल कराकर हमें अवैध साबित कर दिया । बिना हमें अपनी पक्ष रखे बिना हमारी बात सुनें हमारा घर तुड़वा दिया गया हमारा घर 15/02/2021 को कोर्ट के आदेश पर तोड़ दिया गया । घर की औरत और बच्चों के साथ हमें जानवर जैसा व्यवहार करके जबरदस्ती निकाल दिया गया । अगर हमें मालूम होता कि न्याय केवल अपराधी और दबंग लोगो को ही मिलता है तो हमलोग कभी कोर्ट कचहरी के चक्कर में नहीं पड़ते और ना ही अपने काम छोड़कर लगातार पांच साल तक उनके डर से घर बैठकर न्याय की आस लगाते । आज इन लोगो के कारण हमारा परिवार टूट गया । हम लोग का आर्थिक हालत बहुत खराब हो गया है बच्चों की पढ़ाई बन्द हो गयी है पैसे की तंगी के कारण बच्चों की एडमिशन नहीं हो पाई है हम लोग आज खानाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर है अब हमारे पास न तो कोई काम है ना ही रहने की कोई व्यवस्था है हमलोग एक एक दिन मुश्किल में गुजार रहे हैं काम भी मिलता है तो छ: से सात हजार रूपये वाला जिससे हम अपने परिवार का परवरिश कर रहे है घर किराये पर लेकर बच्चों की पढ़ाई आदि की व्यवस्था नहीं कर सकते है । आखिर हमारे पास मरने के अलावा और कोई रास्ता भी है इसलिए हम भारत के सर्वोच्च न्यायालय से मदद की गुहार लगाते हैं कि हमें न्याय देने की कृपा करें या हमें हमारे परिवार बच्चों के साथ मरने की अनुमति दें । "

यह पीडित परिवार का कहना है वह कई महीनों से न्याय की उम्मीद में बैठे है ।

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